बांसवाड़ा के शिक्षक की याचिका पर फैसला, 24 अन्य को भी राहतTSP से NON TSP कार्मिकाें की वापसी हाेगी, काेर्ट ने कहा- तय समय में हाे तबादला |
जोधपुर हाईकोर्ट ने एक फैसले में एक दर्जन याचिकाओं को टीएसपी से नॉन टीएसपी में तय समय सीमा में स्थानांतरित कर पदस्थापित करने के आदेश दिए हैं। जस्टिस दिनेश मेहता ने अपने आदेश में अध्यापक भर्ती 2006 में बांसवाड़ा सहित कुछ टीएसपी जिलों में नियुक्त अध्यापकों को बड़ी राहत देते हुए नॉन टीएसपी क्षेत्र में स्थानांतरण करने तथा वरिष्ठता के लाभ से वंचित नहीं करने का आदेश दिया। एडवोकेट रामदेव पोटलिया की ओर से दाखिल मेड़ता के सुखदेव की याचिका पर सुनवाई के बाद हाईकोर्ट ने यह आदेश दिया। आदेश में कहा गया कि टीएसपी क्षेत्र में कार्यरत कार्मिकों का स्थानांतरण नॉन टीएसपी क्षेत्र में नहीं करने का मामला हाईकोर्ट के संज्ञान में आने के बाद सरकार की ओर से हाल ही 6 जनवरी को लिए गए निर्णय पर हाईकोर्ट ने एक तय समय सीमा में याचिकाकर्ताओं को नोन टीएसपी क्षेत्र में स्थानांतरित करने का आदेश पारित किया। सुखदेव के साथ 24 अन्य याचिकाकर्ताओं को यह राहत मिली। पोटलिया ने अपनी दलील में कहा कि सुखदेव को तृतीय श्रेणी शिक्षक पद पर नियुक्ति के बाद बांसवाड़ा जिला आवंटित किया गया। करीब पंद्रह साल से वो वहीं कार्यरत है। राज्य सरकार ने वर्ष 2014 में नए नियम बनाए, इसके बाद भी सुखदेव समेत अन्य टीएसपी क्षेत्र में कार्यरत कार्मिकों का अब तक स्थानांतरण नहीं हुआ। राज्य सरकार की ओर से वर्ष 2018 में हजारों तृतीय श्रेणी के शिक्षकों का अंतर जिला स्थानांतरण किया गया पर सुखदेव समेत इन याचिकाकर्ता का तबादला नहीं किया गया। उदयपुर, डुंगरपुर, बांसवाडा, प्रतापगढ़ इत्यादि जिले में कार्यरत कार्मिकों के स्थानांतरण/पदस्थापन में प्रतिबंध होने का हवाला देकर उन्हें गृह जिले में स्थानांतरित नहीं किया जा रहा। ऐसे में याचिकाकर्ताओं को राहत दी जाए। इस पर जस्टिस दिनेश मेहता ने फैसला सुनाते हुए राहत दी है। 2014 में मांगे थे विकल्प पत्र : वर्ष 2014 में टीएसपी और नाॅन टीएसपी क्षेत्र बनने के साथ ही शिक्षकों के स्थानांतरण के विकल्प खुले रखे गए थे। जिसमें टीएसपी क्षेत्र से नाॅन टीएसपी क्षेत्र में जाने वाले शिक्षकों से विकल्प पत्र मांगे गए थे। करीब 254 शिक्षकों ने विकल्प पत्र भर कर दिया। तत्कालीन सरकार की ओर से इन सभी शिक्षकाें काे अपने गृह क्षेत्र में बुला लिया गया। शेष शिक्षकों काे अाज तक अधरझूल में लटका रखा है। जिसके कारण इन शिक्षकों काे लंबी परेशानी से गुजरना पड़ रहा है। गत 2020 में भी एक बार विभाग हरकत में अाया अाैर सभी टीएसपी जिलाें से नाॅन टीएसपी के शिक्षकों के विकल्प पत्र मांगे गए, लेकिन पॉलिसी के फेर में फिर पूरा मामला अटक गया
नाॅन टीएसपी के 2500 शिक्षक टीएसपी में कार्यरत
हाईकाेर्ट के इस आदेश के बाद सरकार सभी नाॅन टीएसपी के शिक्षकों के हित में फैसला लेती है ताे करीब 2500 शिक्षकों काे सीधे ताैर पर इसका फायदा मिलेगा अाैर लंबे समय बाद इनकी घर वापसी हाेगी। बांसवाड़ा में ही एेसे शिक्षकों की संख्या करीब 400 के पार है। इसमें लेवल प्रथम, द्वितीय, शारीरिक शिक्षक, प्रबोधक, वरिष्ठ अध्यापक, प्रधानाध्यापक आदि हैं। टीएसपी कैडर बने 9 साल हो गए, लेकिन सरकार ने टीएसपी के नियमों के अनुसार नॉन टीएसपी के शिक्षकों को विकल्प पत्रों के आधार पर तबादले नहीं किए।
वर्षों से गृह जिले में स्थानांतरण करवाने को लेकर विकल्प पत्र व स्थानांतरण प्रार्थना पत्र कई बार राज्य सरकार और शिक्षा विभाग को प्रस्तुत किए गए। लेकिन राहत नहीं मिलने पर उच्च न्यायालय ही बचा था, अब तो काेर्ट का आदेश जारी हाे चुका है। कोर्ट आदेश का सामान्य करण कर सभी पात्रों के उनके गृह जिलों में स्थानांतरण अब तो किया ही जाना चाहिए। -वीरेंद्र चौधरी, संयोजक, नॉन टीएसपी संघर्ष समिति